बुद्ध धर्म के बारे में सम्पुर्ण जानकारी ✔
नमस्ते दोस्तों में आशा करती हू की आप सभी बहुत अच्छे होंगे और बहुत अच्छे से अपनी पढ़ाई कर रहे होंगे । तो आज का हमारा ब्लोग हे हमारे प्यारे भारत के इतिहास सबसे महत्वपूर्ण विषय बुद्ध धर्म के विषय में जानकारी तो चलिये ले चलते है
आपको इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण धर्म बौद्ध धर्म की सैर पर
🔴बौद्ध धर्म🔴
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया का ज्योति
पुञ्ज (Light of Asia) कहा जाता है।
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था।
> इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे। इनकी माता मायादेवी की मृत्यु इनके जन्म के सातवें दिन ही हो गई थी। इनका लालन-पालन सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था।
> इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था ।गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ। इनके पुत्र का नाम राहुल था।
> सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा-1. बूढा व्यक्ति 2. एक बीमार व्यक्ति,
3. शव एवं 4. एक सन्यासी।
> सांसारिक समस्याओं से व्यथित होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया, जिसे बौद्धधर्म में महाभिनिष्क्रमण कहा गया है। गृह त्याग करने के बाद सिद्धार्थ (बुद्ध) ने वैशाली के आवारकलाम
> राह से साख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की। आहारकलाम सिद्धार्थ के आलारकलाम के बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रुद्रकरामपुत्त से शिक्षा ग्रहण की।
> उरुवेला में सिद्धार्थ को कौण्डिन्य, वप्पा, भादिया, महानामा एवं अस्सागी नामक पाँच साधक मिले।
> बिना अन्न-जल ग्रहण किए 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद
35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना (फल्गु)नदी के किनारे, पीपल वृक्ष के नीचे, सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ। ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से जाने गए।
>बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम्) में दिया, जिसे बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्रप्रवर्तन कहा गया है।
बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा पाति में दिए। बुद्ध ने अपने उपदेश कोशल, वैशाली, कौशाम्बी व अन्य राज्यों में दिए उपदेश कोशल देश की राजधानी बावली में)।
इनके प्रमुख अनुयायी शासक थे—बिम्बिसार, प्रसेनजित व उदयिन । बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में 483 ईसा पूर्व में कुशीनारा (देवरिया, उत्तर प्रदेश) में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गयी, जिसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है।
> मल्लों ने अत्यन्त सम्मानपूर्वक बुद्ध का अन्त्येष्टि संस्कार किया। एक अनुश्रुति के अनुसार मृत्यु के बाद बुद्ध के शरीर के अवशेषों को आठ भागों में बाँटकर उन पर आठ स्तूपों का निर्माण कराया गया। बुद्ध के जन्म एवं मृत्यु की तिथि को चीनी परम्परा के कैन्टोन अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है।
> बौद्धधर्म के बारे में हमें विशद ज्ञान त्रिपिटक (विनयपिटक,
सूत्रपिटक व अभिधम्मपिटक) से प्राप्त होता है। तीनों पिटकों की भाषा पालि है। थेरवाद मत की पालि त्रिपिटक सबसे पुराना है।
> सूत्रपिटक में बुद्ध के धार्मिक सिद्धान्तों को संवाद के रूप में संकलित किया गया है। विनयपिटक में संघ के भिक्षु एवं भिक्षुणी के लिए बनाए गए नियमों का संग्रह किया गया है और इसमें संघ के अनुशासन के तोड़ने पर किए जाने वाले प्रायश्चितों की सूची भी दी गई है। अभिधम्मपिटक में सूत्रपिटक में वर्णित सिद्धान्तों के सुव्यवस्थित अनुशीलन के लिए आवश्यक सूचिओं के सारांश तथा प्रश्नोतरी का समावेश किया गया है।
नोट: पालि त्रिपिटकों को पहली शताब्दी ईसा पूर्व में श्रीलंका के शासक वन्तगामिनी की देख-रेख में पहली बार लिपिबद्ध किया गया।
सूत्रपिटक के पाँच निकाय हैं—दीघ, मज्झिम, संयुक्त, अंगुत्तर, खुद्दक बुद्ध के पूर्व जन्मों से जुड़ी जातक कथाएँ खुद्दक निकाय की 15 पुस्तकों में से एक है। खुद्दक निकाय में धम्मपद (नैतिक उपदेशों का पचात्मक संकलन), थेरगाथा (बौद्ध भिक्षुओं का गीत) और थेरीगाथा (बौद्ध भिक्षुणियों की गीत) है। > बौद्धधर्म मूलतः अनीश्वरवादी है। इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है।
Comments
Post a Comment